रहस्य
>> गुरुवार, 25 दिसंबर 2008
इस बात की क्यों हो चिंता
कब आए , कब जायेंगे
आने -जाने के बीच है जीवन
मस्त होके हम बीतायेंगे ।
जीवन को हम गाएंगे
जीवन को हम पाएंगे
दो आँखे मेरी देखे ,जीवन के दो रंग
जाने कहे कितनी बातें ज्ञानी संत
सुख और दुःख दो रंगों जैसे
मस्ती से जीवन हुआ एक रंग
मस्ती कहती है चिंता को तजो
जीवन में बस मस्त रहो
बढ़ते जाओ चलते जाओ
मस्ती में रमते जाओ
मस्ती संग जीवन के आई
मस्ती का संग कभी न छूटेगा
मृत्यु भी होगी उत्सव
मस्ती का उत्सव होगा ।
जो रहस्य है रहस्य ही रहने दो
बस जीवन में मस्ती ही होने दो
एक यज्ञ है मस्ती
एक सत्य है मस्ती
और मस्ती ही मुक्ति
आओ छोड़े दुःख को
आओ तजे हम चिंता
मेरे प्रियतम ! मेरे हमजोली !!
हर रहस्य का उत्तर मस्ती
इस धरा पर यही है मुक्ति
कब आए , कब जायेंगे
आने -जाने के बीच है जीवन
मस्त होके हम बीतायेंगे ।
जीवन को हम गाएंगे
जीवन को हम पाएंगे
दो आँखे मेरी देखे ,जीवन के दो रंग
जाने कहे कितनी बातें ज्ञानी संत
सुख और दुःख दो रंगों जैसे
मस्ती से जीवन हुआ एक रंग
मस्ती कहती है चिंता को तजो
जीवन में बस मस्त रहो
बढ़ते जाओ चलते जाओ
मस्ती में रमते जाओ
मस्ती संग जीवन के आई
मस्ती का संग कभी न छूटेगा
मृत्यु भी होगी उत्सव
मस्ती का उत्सव होगा ।
जो रहस्य है रहस्य ही रहने दो
बस जीवन में मस्ती ही होने दो
एक यज्ञ है मस्ती
एक सत्य है मस्ती
और मस्ती ही मुक्ति
आओ छोड़े दुःख को
आओ तजे हम चिंता
मेरे प्रियतम ! मेरे हमजोली !!
हर रहस्य का उत्तर मस्ती
इस धरा पर यही है मुक्ति
2 टिप्पणियाँ:
ये भी मस्त रचना है . अमिताभ भाई सोचता हूँ इतनी मस्ती कहाँ से लाते हैं आप
वाह बहुत खूब
मस्ती की पाठशाला के एक अच्छे विधार्थी की तरह मै आपको मस्ती का आमत्रण देता हूँ
आपने बहुत ही सुंदर तरीके से जो ये कहा है की मृत्यु का उल्लास बनाया हम भारतीय तो इस परम्परा के सदियों से वाहक है यहाँ तो आना भी मस्ती जश्न है और जाना भी
सधन्यवाद
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