जीवन क्यारी
>> शुक्रवार, 19 दिसंबर 2008
जीवन कर ले फूलों की क्यारी ,
नए आलम की कर ले तैयारी
मस्ती मस्ती फूल खिला ले
अपना जीवन हम महका ले
जिसके मन मस्ती होती
उसके मन बसता भगवन
मस्ती के तिलक का चंदन
करता आत्मा पावन
नए आलम की कर ले तैयारी
मस्ती मस्ती फूल खिला ले
अपना जीवन हम महका ले
जिसके मन मस्ती होती
उसके मन बसता भगवन
मस्ती के तिलक का चंदन
करता आत्मा पावन
मत लादो बोझ मन पर
मन को थोड़ा हल्का कर लो
मस्ती का तीरथ पी कर
जीवन को तीरथ कर लो
मन का बोझ हल्का करना होगा
पाप पुन्य का भेद मिटाना होगा
न कोई पाप न ही कोई पुन्य
मस्ती से मिले ब्रह्म ॐ का शून्य
अनहद जब मस्ती में गूंजे
अनहद रस मस्ती में छलके
मस्ती में छलका लो ख़ुद को
मस्ती में पा लो ख़ुद को
मेरे प्रियतम! मेरे हमजोली
मस्ती में आओ मिले ख़ुद से
मस्ती में मिल ले खुदा से
कोई पाप पुन्य नही मन में
बस मस्ती ही हो इस जीवन में
बड़ी बड़ी बातों की गठरी
बड़े बड़े भय थे मन के
जब से जीवन मस्त हुआ
अब कोई भय नही मन में
वो परमात्मा है वो सबका रखवारा
उसको भी मस्ती है भाती
मस्ती में उसकी सांसे गाती
चाहे उससे पूछ के देखो
मस्ती में कभी उसको पूज के देखो
मेरे प्रियतम !!मेरे हमजोली
मस्ती की पूजा से हम भगवन को पूजे
मस्ती से कर ले उसको प्रसन्न
जीवन को कर ले फूलो की क्यारी
मस्ती में हो जाए हम मग्न
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