मस्ती की झांझर

>> शुक्रवार, 25 जुलाई 2008


मस्ती की झांझर झन से बाजे
मस्ती की झंकार सुनाये
मस्ती के रस को पागे
जीवन राग बजाये

कितनी बार है जीवन पाया
कितनी बार उसे यूँ ही गंवाया
मस्ती को जब जब न अपनाया
जीवन की सार्थकता को न पाया

मस्ती के गीत को जब
हृदय से लगाया
मस्ती का राग जब
अधरों ने गाया
जीवन काटों मे मुस्काया ।

मस्ती कीर्तन भगवन का
मनुज की उन्मुक्त उड़ान मस्ती
मानव तन की मुक्ति मस्ती
जीवन की भक्ति मस्ती

मस्ती की झांझर मंजीरा बाजे
मेरे आँगन

मेरे प्रियतम ! मेरे हमजोली !!
आओ गायें -बजाये मिलकर
बोले हम मस्ती की बोली ।

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मस्ती स्पंदन

>> मंगलवार, 15 जुलाई 2008


मस्ती मेरा तिलक
मस्ती ही मेरा चंदन
मस्ती मेरा मनका
मस्ती ही भजन

भाल पर भभूत
मस्ती
गले की माला भी
मस्ती

मस्ती जीवन दर्शन है
मस्ती जीवन स्पंदन है

मस्ती के इन
प्रतीकों को
अपने ह्रदय लगाओ
मस्ती के इस
मार्ग पर तुम भी
जाओ

मेरे प्रियतम ! मेरे हमजोली!!
आओ लगा ले
भाल पर हम
मस्ती की रोली
मस्ती के मनको
को फेरे मिलकर हमजोली

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मस्ती की बारिश

>> बुधवार, 2 जुलाई 2008



मस्ती तो बारिश की जैसी
रिमझिम रिमझिम बरसती जाए
मस्ती की बूंदों को पाकर
जीवन खिलता जाए

जीवन था तब तक मरुस्थल
जब तक इसमे मस्ती न आई
मस्ती की बारिश को पाकर
जीवन की बगिया खिल आई

मस्ती जीवन को मुस्काती है
मस्ती जीवन को अपनाती है
मस्ती के इन धारों में
मेरे प्रियतम ! मेरे हमजोली
तुम भी आओ

भीगी भीगी इस मस्ती में
तुम भी भीगते जाओ
ईश प्रसन्न है ,आज मगन है

मस्ती की बारिश का
अवसर शुभ सगुन है
भीगी भीगी इस मस्ती में
मेरे प्रियतम ! मेरे हमजोली
तुम भी आओ

आओ मिलकर हम सब बनाये
मस्ती का ये उत्सव
मस्ती बरस रही है
आज बनकर जीवन का उत्सव !!

जीवन के इस उत्सव में
तुम भी आओ
मेरे प्रियतम ! मेरे हमजोली!!

आओ बनाये मिलकर हम
मस्तों की इक टोली
जीना जिसकी भाषा हो
और हँसना हो बोली .



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