साधो मस्ती को साधो

>> शुक्रवार, 19 सितंबर 2008


साधो मस्ती को साधो
मस्ती में जीवन को पाओ
इस चोले को कष्ट कितना दिया
इस चोले को देके देखी तुमने पीड़ा

न तो सत्य को पाया
न मिला परमात्मा
घर से दूर निकल के देखा तुमने
पर्वत को बनाया अपना ठिकाना
भगवन वहां भी ना पाया
सत्य तो वहां भी ना जाना

साधो मस्ती को साधो
मस्ती में भगवन को पाओ
मस्ती मस्ती में ही भगवन से ख़ुद को जोडो
मस्ती के आँगन में ख़ुद को ढूंढो
मस्ती से खिलता जीवन है
मस्ती में ही मिलता भगवन है

मस्ती के इस आँगन में साधो
तुम छोड़ के पर्वत आ जाओ
मस्ती में जानो सत्य उस पार के
मस्ती से उस पार चले जाओ

मस्ती तो भगवन है
मस्ती तो दर्शन है
मस्ती ध्यान मस्ती ही योग
मस्ती परम ईश का भोग


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