मस्ती का वरदान
>> मंगलवार, 15 अप्रैल 2008
अपने हृदय की गांठ तो खोलो
फिर देखो आनंद बरसता है
मस्ती को पाने की खातिर
मानव जीवन तरसता है ।
धन्य हुआ उनका जीवन
जिनको मस्ती का वरदान मिला
जीवन जिया फिर मस्ती मे
मस्ती मे ही दुनिया को विदा कहा ।
एक प्रवाह है मस्ती
गतिमान धारा है मस्ती
इस धरा पे वरदान है मस्ती
उस लोक का वरदान है मस्ती
मस्ती को जिसने अपनाया है
उसने कभी फिर कुछ न खोया
मस्ती मे पाया ही पाया
मस्ती मे नाचा ही नाचा .