उत्सव
>> गुरुवार, 1 जनवरी 2009
जीवन तो एक वर्तुल है ,
इसका चक्र तो चलता रहता
इसके चक्रो में मस्ती है
मस्ती में ये बहता रहता
क्यों करे इस टोली में
कोई कल की चिंता
चिंता होती एक चिता
मस्ती होती जीवन माला
कोई देवालय में जाए
कोई जाए मयखाना
इस बात से फर्क न पड़ता
मस्ती ही दोनों की भाषा
मैं न जानूं तर्क वितर्क
मस्ती मेरे ह्रदय का सत्य
ये परे है तर्कों से
मस्ती मेरे ह्रदय का पथ
मस्ती उल्लास की जननी
मस्ती उत्सव की माता
जब अधरों पर मुस्कान आए
मस्ती सृष्टि में छा जाए
मेरे प्रियतम !! मेरे हमजोली !!
मुस्कान अधरों पर सजा ले
मस्ती उत्सव मना ले
इसका चक्र तो चलता रहता
इसके चक्रो में मस्ती है
मस्ती में ये बहता रहता
क्यों करे इस टोली में
कोई कल की चिंता
चिंता होती एक चिता
मस्ती होती जीवन माला
कोई देवालय में जाए
कोई जाए मयखाना
इस बात से फर्क न पड़ता
मस्ती ही दोनों की भाषा
मैं न जानूं तर्क वितर्क
मस्ती मेरे ह्रदय का सत्य
ये परे है तर्कों से
मस्ती मेरे ह्रदय का पथ
मस्ती उल्लास की जननी
मस्ती उत्सव की माता
जब अधरों पर मुस्कान आए
मस्ती सृष्टि में छा जाए
मेरे प्रियतम !! मेरे हमजोली !!
मुस्कान अधरों पर सजा ले
मस्ती उत्सव मना ले
(2009 आप सभी के जीवन में उल्लास लाये ,नए वर्ष की शुभकामनायें )
2 टिप्पणियाँ:
मस्ती की पाठशाला के एक अच्छे विधार्थी की तरह मै आपको मस्ती का आमत्रण देता हूँ
आपने बहुत ही सुंदर तरीके से जो ये कहा है की जब अधरों पर मुस्कान आ जाती है तो सचमुच मस्ती ही जीवन का पर्याय बन जाती है
सधन्यवाद
अरे वाह....
एक बार फिर से बहुत अच्छा लिखा है इतना मस्त होकर हमेशा लिखते रहिये अच्छा लगता है..........
अक्षय-मन
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