साधो मस्ती को साधो

>> शुक्रवार, 19 सितंबर 2008


साधो मस्ती को साधो
मस्ती में जीवन को पाओ
इस चोले को कष्ट कितना दिया
इस चोले को देके देखी तुमने पीड़ा

न तो सत्य को पाया
न मिला परमात्मा
घर से दूर निकल के देखा तुमने
पर्वत को बनाया अपना ठिकाना
भगवन वहां भी ना पाया
सत्य तो वहां भी ना जाना

साधो मस्ती को साधो
मस्ती में भगवन को पाओ
मस्ती मस्ती में ही भगवन से ख़ुद को जोडो
मस्ती के आँगन में ख़ुद को ढूंढो
मस्ती से खिलता जीवन है
मस्ती में ही मिलता भगवन है

मस्ती के इस आँगन में साधो
तुम छोड़ के पर्वत आ जाओ
मस्ती में जानो सत्य उस पार के
मस्ती से उस पार चले जाओ

मस्ती तो भगवन है
मस्ती तो दर्शन है
मस्ती ध्यान मस्ती ही योग
मस्ती परम ईश का भोग

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मस्ती में बीते हर पल

>> शुक्रवार, 12 सितंबर 2008

जीवन को कर ले बेहतर
मस्ती में जी ले पल पल
पल पल जीवन को गाते
हम चले इस जग से आगे

पल पल जीवन को आनन्द से भर लें
परमात्मा के इस प्रसाद को
समग्र भाव से हम चख ले
पल पल जीवन को जीते
हम जीवन का विस्तार करे
मस्ती से जीवन को जीते
इस जहाँ से निस्तार करे

मेरे प्रियतम! मेरे हमजोली!!
पल पल में मस्ती भर लो
खोलो अपनी झोली

बीत गया जो पल फिर कभी ना आएगा
बस मस्ती
के रूप में ही
मेरी तुम्हारी स्मृति रह जायेगी
पल पल जीवन को बना ले
हम मस्ती की प्रार्थना
मस्ती को ही कर ले
हम ईश की आराधना

न तो मुझको रहना है
न तुझको ही रहना
आने वाली नस्लों को
दे दे हम मस्ती का खिलौना

मस्ती की इस पुण्य सलिला
में तुम भी बहते जाओ
मेरे प्रियतम !मेरे हमजोली !!
पल पल को मस्ती में जीके
ईश का वंदन कर ले हम हमजोली

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