जीवन का सार है मस्ती

>> शनिवार, 19 अप्रैल 2008

अनहद गूंजे मस्ती मे
अमृत छलके मस्ती मे
एक योग है मस्ती
एक जोग है मस्ती

मस्त होकर ही रोज़ सुबह
सूरज दस्तक देता है
मस्त निशा मे ही तो
चांद शीतलता देता है

मस्ती स्वभाव है इस कुदरत का
मस्ती भाव है इस जीवन का

बस केवल मस्ती को पकडो
मस्ती की राह से जुड़ जाओ
जीवन का उत्सव है मस्ती
जीवन का गीत झूम झूम गाओ

दो छोर के बीच मे जीवन
आदि पता न अन्त
ढूँढा करते इस रहस्य को
जाने कितने संत ?

दो छोर के बीच है जीवन
पल पल इसका जीते जाओ
मस्तो**की मदिरा है ये
प्रेम से पीते जाओ

खाली हाथ न कोई आता
खाली हाथ न कोई जाता
मस्ती लेकर साथ है आता
मस्ती लेकर साथ है जाता !!

जिस आँगन में फूल खिला है ,
धूप खिली है , मन धुला है .
उस आँगन में तुम भी आओ !
मेरे प्रियतम मेरे हमजोली!!
आओ बनाये मिलकर हम ,
मस्तो की टोली.......

जीना जिसकी भाषा हो .
और हँसना हो बोली !!

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