मस्ती मदिरा

>> सोमवार, 24 नवंबर 2008


बदले ख़ुद की हस्ती
पल पल जीवन कर ले मस्ती
मस्ती मस्ती मेरी भक्ति
मस्ती मस्ती मेरी मुक्ति

मस्ती को मदिरा को पी ले
मस्ती में हो जाए बेसुध
होके बेसुध साध ले जीवन
मस्ती में करदे ख़ुद को अर्पण

मयकदे मस्ती के जब झूमते हैं
खुदा के आँगन को ये चूमते हैं

मस्ती की इस मदिरा में
आओ डूबे
मेरे प्रियतम ! मेरे हमजोली !!

मस्ती की मदिरा में झूमें
मस्ती की मदिरा को पीके
कर ले भवसागर पार हम
मेरे हमजोली

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