सगुन मस्ती

>> रविवार, 4 जनवरी 2009


सगुन मस्ती निर्गुण मस्ती
जन्म
और निर्वाण मस्ती

शुभ सगुन है पावन छण है
मैं मिला आज अपने आप से
मस्ती मिली प्रकाश मिला
मैं भर गया विश्वास से

एक अलग सी लौ आई
एक
अलग से रूप खिला
आभा
परम प्रकाश के आँगन
मुझे
नया प्रकाश मिला

तुझ से मेरा नाता मस्ती
जन्म
जन्म पुराना है
मस्ती
में जन्मे हैं सब
मस्ती
में मिल जाना है

दीवा जला मस्ती का जब
कब
अंधकार फ़िर रहता है
परम प्रकाश में लीन लीन
नया
सवेरा फ़िर होता है

सगुन मस्ती निर्गुण मस्ती
जन्म
और निर्वाण मस्ती

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