पुलक पुलक मस्ती

>> गुरुवार, 15 जनवरी 2009


पुलक पुलक नाची मस्ती
पुलक पुलक पल्लव जीवन
पुलक पुलक गाता जीवन

मस्ती से भाये जीवन
मस्ती में गाये जीवन


पल पल छलका अमृत प्याला
पल पल बना मतवाला

जो बीते कल में जीते हैं
या जो जीते आने वाले कल में
पल पल उनका खोता है
भारी मन होता है

जीवन तो है बस यही पल
अतीत, भावी कल
जो जीवन को माने आज
उनका जीवन गाता साज़

मेरे प्रियतम ! मेरे हमजोली
आओ जीवन भव्य बनाये
छोड़ के गुज़रे कल को
आओ आज को सुखद बनाये

मस्ती यही सिखाती है
आज में हम जीते जाए
जीवन की मस्ती सुधा
मस्ती में इसे पी जायें

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सगुन मस्ती

>> रविवार, 4 जनवरी 2009


सगुन मस्ती निर्गुण मस्ती
जन्म
और निर्वाण मस्ती

शुभ सगुन है पावन छण है
मैं मिला आज अपने आप से
मस्ती मिली प्रकाश मिला
मैं भर गया विश्वास से

एक अलग सी लौ आई
एक
अलग से रूप खिला
आभा
परम प्रकाश के आँगन
मुझे
नया प्रकाश मिला

तुझ से मेरा नाता मस्ती
जन्म
जन्म पुराना है
मस्ती
में जन्मे हैं सब
मस्ती
में मिल जाना है

दीवा जला मस्ती का जब
कब
अंधकार फ़िर रहता है
परम प्रकाश में लीन लीन
नया
सवेरा फ़िर होता है

सगुन मस्ती निर्गुण मस्ती
जन्म
और निर्वाण मस्ती

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उत्सव

>> गुरुवार, 1 जनवरी 2009


जीवन तो एक वर्तुल है ,
इसका चक्र तो चलता रहता
इसके चक्रो में मस्ती है
मस्ती में ये बहता रहता

क्यों करे इस टोली में
कोई कल की चिंता
चिंता होती एक चिता
मस्ती होती जीवन माला

कोई देवालय में जाए
कोई जाए मयखाना
इस बात से फर्क पड़ता
मस्ती ही दोनों की भाषा

मैं जानूं तर्क वितर्क
मस्ती मेरे ह्रदय का सत्य
ये परे है तर्कों से
मस्ती मेरे ह्रदय का पथ

मस्ती उल्लास की जननी
मस्ती उत्सव की माता
जब अधरों पर मुस्कान आए
मस्ती सृष्टि में छा जाए

मेरे प्रियतम !! मेरे हमजोली !!
मुस्कान अधरों पर सजा ले
मस्ती उत्सव मना ले
(2009 आप सभी के जीवन में उल्लास लाये ,नए वर्ष की शुभकामनायें )

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