मस्ती की बारिश

>> बुधवार, 2 जुलाई 2008



मस्ती तो बारिश की जैसी
रिमझिम रिमझिम बरसती जाए
मस्ती की बूंदों को पाकर
जीवन खिलता जाए

जीवन था तब तक मरुस्थल
जब तक इसमे मस्ती न आई
मस्ती की बारिश को पाकर
जीवन की बगिया खिल आई

मस्ती जीवन को मुस्काती है
मस्ती जीवन को अपनाती है
मस्ती के इन धारों में
मेरे प्रियतम ! मेरे हमजोली
तुम भी आओ

भीगी भीगी इस मस्ती में
तुम भी भीगते जाओ
ईश प्रसन्न है ,आज मगन है

मस्ती की बारिश का
अवसर शुभ सगुन है
भीगी भीगी इस मस्ती में
मेरे प्रियतम ! मेरे हमजोली
तुम भी आओ

आओ मिलकर हम सब बनाये
मस्ती का ये उत्सव
मस्ती बरस रही है
आज बनकर जीवन का उत्सव !!

जीवन के इस उत्सव में
तुम भी आओ
मेरे प्रियतम ! मेरे हमजोली!!

आओ बनाये मिलकर हम
मस्तों की इक टोली
जीना जिसकी भाषा हो
और हँसना हो बोली .



1 टिप्पणियाँ:

बेनामी 2 जुलाई 2008 को 6:59 am बजे  

bhut khub. likhati rhe.


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