मस्ती का जादू !!

>> शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2008

शायद मस्ती का यही जादू भी है की जब कोई काम आप जीवन में हसते हुए गाते हुए और नाचते हुए करते हैं . तोजीवन प्रार्थना नज़र आने लगता है. "मस्तो" ने कभी भी स्वयं को जीवन की जटिलता में नही बांधा बल्कि खुद केभीतर के शिशु को हमेशा जीवित रखा. मस्तो की मुस्कान सहज थी . इसलिए उनसे जो भी मिला बस उनका ही हो गया .मस्तो कहते थे की अपने भीतर जो बच्चा है ,उससे रूबरू हो जाना ही वास्तव में अध्यात्म है. . और यहीजीवन की खुशी भी है . मस्तो की टोली का कांसेप्ट जीवन को प्रकाशित करना है ," बाह्य आभा" से नही वरनआतंरिक आभा" से . मस्ती जीवन का एक राग है, जीवन के लयबद्ध होने की घटना है . मस्तो मानवता अब मस्तहोने को है . मस्तो की टोली प्यारे प्रभु मस्तो और मस्ती का आराधन है !! मेरे एक मित्र पूछते है क्या मस्तो कीटोली कोई संप्रदाय है ? मस्तो की टोली किसी गुरु , किसी तरह के वाद नियमो कायदों से परे है .... ये केवल औरकेवल अपने आप से रूबरू होने का प्रयोजन है ... इसके बाद और पहले कोई भी आडम्बर नही है. मस्ती में गाती परवाज , बहते जल , बहती हवा की तरह यह भी एक स्वभाविक सी क्रिया है. जिस दिन हम अपने आप से मिलजायंगे मस्ती खुदबखुद घटने लगेगी .और जिंदगी मस्त हो जायगी उत्सव की तरह !!

2 टिप्पणियाँ:

karmowala 27 फ़रवरी 2008 को 5:31 am बजे  

अमित जी सर्वपर्थम आपको बहुत बहुत धन्यवाद आपने एक बंजारे जैसी जीवन सैली के विषय मैं जो कहा काफी सुंदर विचार है ये सच भी की जब हम सब मस्ती की निश्चल उचाई पर पहुचेगे तब हम सब केवल आनदमय जीवन जियेगे और आपसी मतभेद भी कोई नहीं होगा

मेनका 10 अप्रैल 2008 को 12:54 pm बजे  

aapka lekh padhne ka suawsar mila...man ati prasaann huya.aise hi lekh aour kavitaayein likhte rahiye yah mera nivedan hai.


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