मस्ती मदिरा
>> सोमवार, 24 नवंबर 2008
आ बदले ख़ुद की हस्ती
पल पल जीवन कर ले मस्ती
मस्ती मस्ती मेरी भक्ति
मस्ती मस्ती मेरी मुक्ति
मस्ती को मदिरा को पी ले
मस्ती में हो जाए बेसुध
होके बेसुध साध ले जीवन
मस्ती में करदे ख़ुद को अर्पण
मयकदे मस्ती के जब झूमते हैं
खुदा के आँगन को ये चूमते हैं
मस्ती की इस मदिरा में
आओ डूबे
मेरे प्रियतम ! मेरे हमजोली !!
मस्ती की मदिरा में झूमें
मस्ती की मदिरा को पीके
कर ले भवसागर पार हम
मेरे हमजोली
पल पल जीवन कर ले मस्ती
मस्ती मस्ती मेरी भक्ति
मस्ती मस्ती मेरी मुक्ति
मस्ती को मदिरा को पी ले
मस्ती में हो जाए बेसुध
होके बेसुध साध ले जीवन
मस्ती में करदे ख़ुद को अर्पण
मयकदे मस्ती के जब झूमते हैं
खुदा के आँगन को ये चूमते हैं
मस्ती की इस मदिरा में
आओ डूबे
मेरे प्रियतम ! मेरे हमजोली !!
मस्ती की मदिरा में झूमें
मस्ती की मदिरा को पीके
कर ले भवसागर पार हम
मेरे हमजोली
3 टिप्पणियाँ:
बढ़िया मस्ती है, लगे रहिये.
बहुत सुंदर लगी यह ..आपका ब्लॉग आज पहली बार पढ़ा है अच्छा लगा इसको पढ़ना .लिखते रहें ..शुक्रिया
आप और आपकी रचनाये सच में हमेशा की तरहां मस्त ही होती हैं............
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है आने के लिए
आप
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
सब कुछ हो गया और कुछ भी नही !! इस पर क्लिक कीजिए
मेरी शुभकामनाये आपकी भावनाओं को आपको और आपके परिवार को
आभार...अक्षय-मन
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