जीवन बहता जाए

>> मंगलवार, 29 अप्रैल 2008

मस्ती मे जब मन रम जाए
जीवन फ़िर बहता ही जाए
मस्ती से खिल जाए जीवन सुमन
मस्ती मे मिल जाए भगवन

जीवन फ़िर गाता ही जाए
मस्ती मे जीवन खिलता जाए
जीवन फ़िर बहता ही जाए

मस्ती से मिट जाए चिंता की लकीरे
मस्ती से संवार जाती तकदीरें
मस्ती से सुरभित होता
जीवन का कोना कोना
मस्ती शब्द है सोना

हृदय की पुकार को सुनो
मस्ती से जुड़ जाओ
ये आमंत्रण नए जीवन का
मस्तो ** की सोहबत मे चले आओ

जीवन का सार है मस्ती
जीवन के पार है मस्ती
एक पूर्णता है मस्ती
एक दिशा है मस्ती

मस्ती मे जब मन रम जाए
जीवन फ़िर बहता ही जाए
मस्ती से खिल जाए जीवन सुमन
मस्ती मे मिल जाए भगवन

मस्तो की टोली मे आओ
मेरे प्रियतम! मेरे हमजोली !!
आओ बनाये मिलकर हम
मस्तो की टोली
जीना जिसकी भाषा हो
ओर हँसना हो बोली

4 टिप्पणियाँ:

सुप्रिया 3 मई 2008 को 1:31 am बजे  

मस्ती मे जब मन रम जाए
जीवन फ़िर बहता ही जाए
मस्ती से खिल जाए जीवन सुमन
मस्ती मे मिल जाए भगवन

bhaut hi achchi pankitiya hain ....masto ki toli kya khoob likha hai aapne !!

pallavi trivedi 5 मई 2008 को 5:36 am बजे  

waah...kya geet likhe hain aapne. sachche sufi rang dikhte hain aapke geeton mein...

मेनका 9 मई 2008 को 3:02 pm बजे  

waah, kya baat hai..har baat mast hai.

मेनका 9 मई 2008 को 3:03 pm बजे  

achhi kahi aapne..mujhe comments dene me jara technical problem aa rahi hai.


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