आमंत्रण
>> सोमवार, 21 जनवरी 2008
जिस आँगन में फूल खिला है ,
धूप खिली है , मन धुला है .
उस आँगन में तुम भी आओ !
मेरे प्रियतम मेरे हमजोली!!
आओ बनाये मिलकर हम ,
मस्तो की टोली.......
जीना जिसकी भाषा हो .
और हँसना हो बोली !!
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1 टिप्पणियाँ:
फाल्गुन के दिन आये
खेलो भाई मेरे रंगो से
छोडो नहीं कीसी बाला को
बगैर रंग लगाए
बेटो पनघट पर लुकछूप कर
पानी भरन जो आये
छोडो नहीं कीसी बाला को
बगैर रंग लगाये
बाला रूठे न कोई
ऐसे रंग लगाओ
छोडो नहीं कीसी बाला को
बगैर रंग लगाए
सारी बाला लगे है आज राधा
कृषण बन तुम सब राधा के घर आओ
बुला रही है राधा तुमको
तुम सब बरसाना आओ
खेलेंगे रंगो से होली
छोडो नहीं कीसी बाला को
बगैर रंग लगाए
फाल्गुन मैं सुखी न रहे
कीसी राधा की चोली
छोडो नहीं कीसी बाला को
बगैर रंग लगाए
बरसों भुजे न जो प्यास
ऐसी लगो आग फाल्गुन मैं
बाला रहे फाल्गुन के इंतजार मैं
फाल्गुन के दिन आये
खेलो भाई मेरे रंगो से
छोडो नहीं कीसी बाला को
बगैर रंग लगाए
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